व्रज – वैशाख कृष्ण द्वितीया, शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
आज की विशेषता :- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है.
- आज का श्रृंगार ऐच्छिक है. ऐच्छिक श्रृंगार उन दिनों में धराया जाता है जिन दिनों के लिए श्रीजी की सेवा प्रणालिका में कोई श्रृंगार निर्धारित नहीं होता है.
- इसकी प्रक्रिया के तहत प्रभु श्री गोवर्धनधरण की प्रेरणा सर्वोपरि है जिसके तहत मौसम के अनुसार तत सुख की भावना से पूज्य तिलकायत श्री की आज्ञा के अनुसार मुखियाजी के द्वारा श्रृंगार धराया जाता है.
श्रीजी दर्शन
- साज
- आज श्रीजी में पंचरंगी लहरिया की मलमल की, रुपहली ज़री की किनारी के हांशिया से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है.
- गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.
- जडाऊ स्वर्ण के एक पडघा पर बंटाजी में बीड़ा व दुसरे पर झारीजी पधराई जाती है.
- सम्मुख में धरती पर त्रष्टि धरी जाती हैं.
- वस्त्र
- आज श्रीजी को पंचरंगी लहरिया के सुथन, घेरदार वागा, चोली एवं पटका धराया जाता है.
- सभी वस्त्र रुपहली ज़री की किनारी से सुसज्जित होते हैं.
- ठाड़े वस्त्र केसरी रंग के धराये जाते हैं.
- श्रृंगार
- आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है.
- कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं आदि सभी आभरण फिरोजा के धराये जाते हैं.
- श्रीमस्तक पर पंचरंगी लहरिया की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव का कतरा तथा बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
- श्रीकर्ण में एक जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
- कमल माला धरावे.
- श्रीजी को फूलघर की सेवा में आज गूंजा माला के साथ गुलाबी एवं पीले पुष्पों की रंग-बिरंगी फूल पत्तियों की कलात्मक थागवाली दो मालाजी धरायी जाती हैं.
- श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, श्याम मीना के वेणुजी वेत्र धराये जाते हैं.
- प्रभु के श्री चरणों में पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ धराई जाती है.
- पट लाल व गोटी मीना की आती है.
- आरसी नित्य की चांदी वाली दिखाई जाती है.
- श्रीजी की राग सेवा:
- मंगला : श्री वल्लभ ही गुण गाऊ
- राजभोग : केसर की धोती पहरे
- आरती : तिलक तेलन्गना हो
- शयन : श्रीमद वल्लभ रूप सुरंगे
- मान : लालन मनायो न मानत
- पोढवे : पोढ़ीये लाल लाडली संग
- श्रीजी सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है.
- नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग आरोगाया जाता है.
जय श्री कृष्ण
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